खजनी विकासखण्ड, जनपद गोरखपुर में जनसंख्या की गत्यात्मकता का भौगोलिक अध्ययन
अनूप यादव1, प्रमोद कुमार तिवारी2
1जे0आर0एफ0, षोध छात्र, (भूगोल विभाग) नागरिक पी0जी0 काॅलेज जंघई, जौनपुर, उ0प्र0
2विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग, नागरिक पी0जी0 काॅलेज जंघई, जौनपुर, उ0प्र0
*Corresponding Author E-mail: anoopyadav9190@gmail.com, pktiwari61@gmail.com
ABSTRACT:
किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या गत्यात्मकता का अध्ययन करने का मुख्य उद्देष्य वहाँ की जनसंख्या विकास का संख्यात्मक एवं गुणात्मक प्रकृति का अध्ययन करना है। जनसंख्या गत्यात्मकता के अन्तर्गत जनसंख्या की प्रकृति, वृद्धि दर, संरचना आदि का साथी तत्थों का अध्ययन करना होता है। प्रस्तुत षोध प्रपत्र में खजनी विकास खण्ड की जनसंख्या का अध्ययन 1991 से 2011 तक की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इसके साथ ही खजनी विकासखण्ड में न्याय पंचायत स्तर पर जनसंख्या के वितरण का भी अध्ययन किया गया है। खजनी विकासखण्ड में जनसंख्या धनत्व का क्या स्वरूप है, का अध्ययन प्रत्येक न्याय पंचायत का अलग-अलग किया गया है। इसके अलावा खजनी ब्लाॅक की 2001 से 2011 के लिंगानुपात का भी अध्ययन किया गया है तथा प्रत्येक डाटा का दण्डारेख भी बनाया गया है। इस प्रकार सम्पूर्ण विकासखण्ड की जनसंख्या संरचना का अध्ययन किया गया है। जनसंख्या गत्यात्मकता के अध्ययन से पता चलता है कि विते दषक एवं वर्तमान दषक की जनसंख्या का स्वरूप कैसा रहा है। जनसंख्या ही किसी क्षेत्र के विकास के लिए प्रथम उत्तरदायी कारण है। इसलिए क्षेत्र की जनसंख्या गत्यात्मक का अध्ययन करके ही यह ज्ञात किया जाता है कि वहाँ वर्तमान जनसंख्या में वृद्धि किया जाय या कापी।
KEYWORDS: जनसांख्यिकी, गत्यात्मकता, हस्त पुस्तिका संरचना, लिंगानुपात।
प्रस्तावना -
किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या गत्यात्मकता का आषय जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या हास से समझा जाता है अर्थात् सम्पूर्ण विष्व के परिपेक्ष्य में देखा जाये तो किसी-किसी देष में जनसंख्या घटती जा रही है, यहाँ तक कि कुछ देषों की जनसंख्या वृद्धि दर ऋणात्मक दर से बढ़ रही है। जैसे युक्रेन, क्रोएषिया, वुल्गारिया, जार्जिया, माल्दोविया गणराज्य आदि। माल्दोविया और बुल्गारिया की जनसंख्या सबसे अधिक (-0.7) दर से कम हो रही है, वही कुछ देषों में भयावह जनसंख्या वृद्धि की स्थिति पायी जाती है जैसे नाइजर, मलावी, अफगानिस्तान, तंजानियाँ, युगांडा, इराक थाइलैण्ड आदि देषों में जनसंख्या भयानक तरीके से बढ़ती जा रही है।
किसी क्षेत्र अथवा देष में किसी समय विषेष में होने वाले मात्रात्मक परिवर्तन चाहे वह घनात्मक हो या ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि के अन्तर्गत रखते हैं या यह कह सकते हैं कि ‘‘जनसंख्या में एक निष्चित अवधि में निष्चित क्षेत्रों में होने वाले घनात्मक या ऋणात्मक परिवर्तन ही जनसंख्या वृद्धि कहलाती है। जबकि जनसंख्या समूह में किसी प्रकार का परिवर्तन जनसंख्या गत्यात्मकता कहलाता है। (चाँदना-1960) जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियाँ किसी क्षेत्र या प्रदेष की जनसांख्यिकी गत्यात्मकता का सूचक होती है। इसमें क्षेत्र के जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न कारको एवं जनसांख्यिकी गतिषीलता के पारस्परिक सम्बन्धों के बदलते ढाँचे का रूवरूप भी स्पष्ट होता है। सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक कारकों में जो परिवर्तन होते हैं, अपितु अनुरूप जनसंख्या की वृद्धिदर में परिवर्तन नहीं होती है, अपितु उनके साथ-साथ सामाजिक मूल्यों, जीवन स्तर में सुधार आदि भी परिवर्तन को इंगित करते हैं। इसलिए भौगोलिक विष्लेषण में जनसंख्या अध्ययन का विश्लेषण महत्वपूर्ण है। जनसंख्या वृद्धि दर से अन्य जनांकिकी घटनाएं सम्बन्धित होती है, क्योंकि किसी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि का सम्बन्ध जनांकिकी तत्वांे के साथ-साथ अजनांकिकी तत्वों के मध्य अन्तर्निहित सह-सम्बन्धों की जानकारी हेतु आधार प्रस्तुत करता है। (अग्रवाल मीरा एवं राय एच0के0 2007)
अध्ययन के उद्देष्य:
प्रस्तुत शोध प्रपत्र में जनसंख्या गत्यत्मकता की प्रकृति एवं संरचना आदि का अध्ययन खजनी विकासखण्ड के संदर्भ में करना है। इस शोध प्रपत्र के अध्ययन का उद्देष्य निम्नलिखित है।
1. जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण का अध्ययन।
2. जनसंख्या के क्षेत्रीय प्रतिरूप का अध्ययन।
3. अध्ययन क्षेत्र के वर्तमान एवं भविष्य की जनसंख्या वृद्धि का अवलोकन करना।
अध्ययन का विधि तन्त्र:
प्रस्तुत शोध प्रपत्र में विष्लेषणात्मक विधि का प्रयोग किया गया है। जनसंख्या आँकड़ों के लिए विकास भवन से प्राप्त विभिन्न प्रकार के द्वितीयक स्त्रोतों जैसे- सांख्यिकी पत्रिका, सामाजार्थिक समीक्षा आदि का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा इण्टरनेट स्रोत का प्रयोग किया गया है। जिसके माध्यम से ब्मदेने व िप्दकपं एवं जिला हस्त पुस्तिका का भी प्रयोग किया गया है।
जनसंख्या वृद्धि के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया गया है-
वास्तविक वृद्धि दर
च्द त्र नियत समयावधि में अन्तिम वर्ष की जनसंख्या
च्व त्र नियत समयावधि में प्रारम्भिक वर्ष की जनसंख्या
जनसंख्या वृद्धि:
खजनी विकासखण्ड की जनसंख्या वृद्धि का वितरण एवं संरचना एक प्रकार से उत्तर भारत के विषाल मैदान की तरह ही है, मैदान में भी विषेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेष क्षेत्र की दषाएं यहाँ जनसांख्यिकी विषेषताओं को निर्धारित करती है। खजनी ब्लाॅक गोरखपुर जनपद में अवस्थित एक ग्रामीण अंचल वाला ब्लाॅक है। गोरखपुर जनपद की जनसांख्यिकी विषेषता को देखा जाए, तो यहाँ जनगणना वर्ष 2011 में कुल जनसंख्या 4440895 थी जिसमें से 2277777 पुरुष तथा 2163118 महिलाओं की।
जनसंख्या भी गोरखपुर जनपद की कुल जनसंख्या में से 3604766 लगभग (81.17) ग्रामीण जनसंख्या तथा 836129 (18.85 प्रतिषत) नगरीय जनसंख्या है। यहाँ की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 2.22 प्रतिषत है तथा दषकीय जनसंख्या वृद्धि 17.69 प्रतिषत है। गोरखपुर में जनघनत्व को देखा जाए तो 1336 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0 निवास करते है। यहाँ अनुसूचित जाति 20.05 प्रतिषत, जनजाति 0.02 प्रतिषत है। गोरखपुर जिले की कुल साक्षरता 60.80 प्रतिशत जिसमें से 69.97 प्रतिषत पुरुष एवं 51.15 प्रतिषत महिला साक्षरता है।
खजनी ब्लाॅक की जनसंख्या वृद्धि:
विकासखण्ड खजनी पर दृष्टि डाली जाय तो यह ब्लाॅक गोरखपुर जनपद की ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखता है। अतः यहाँ की जनसंख्या विषेषताएं गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्र की तरह ही होगी। खजनी ब्लाॅक के वर्ष 1991 में 11316539, 2001 में 163935 तथा वर्ष 2011 में यहाँ की जनसंख्या 197107 है। इस प्रकार खजनी ब्लाॅक की जनसंख्या में वृद्धि तो हुई है, लेकिन यह वृद्धि काफी घटती दर से हुई है। 1901 से 2001 के बीच ब्लाॅक की जनसंख्या वृद्धि 24.52 प्रतिषत थी जबकि 2011 में वृद्धि दर में हृास की प्रवृत्ति दिखाई देती है जो 20.23 प्रतिषत रह गयी।
खजनी ब्लाॅक की जनसंख्या वृद्धि (1901-2011)
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1901 |
131653 |
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2001 |
163935 |
24-52 |
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2011 |
197107 |
20-23 |
स्रोत: जिला सांख्यिकी पत्रिका (अर्थ एवं संख्या विभाग)
वर्ष 2011 की जनगणना को देखा जाय तो खजनी विकासखण्ड की कुल जनसंख्या 197107 थी, जिसमें से 100830 पुरुष तथा 97277 स्त्रियाँ हैं। वर्ष 2001 से 2011 तक दस वर्ष की अवधि में विकासखण्ड की जनसंख्या में कुल 20.23 प्रतिषत की वृद्धि हुई है, जो गोरखपुर जनपद की ग्रामीण जनपद में हुई वृद्धि 18.91 प्रतिषत की तुलना में सापेक्षिक रूप से अधिक है। विकासखण्ड कुल अनुसूचित जाति की जनसंख्या 52333 है, जिसमें 26785 पुरुष और 25548 स्त्रियाँ हैं। कुल अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1006 हैं, जिसमें से 513 पुरुष और 493 स्त्रियाँ हैं। इस प्रकार खजनी विकासखण्ड में कुल जनसंख्या में 27.06 प्रतिषत तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति की जनसंख्या है ।
जनसंख्या वितरण:
सम्पूर्ण पृथ्वी पर मानव की बहुत ही असामान्य वितरण पाया जाता है क्योंकि पृथ्वी पर मानव बसाव के लिए बहुत ही असामान्य परिस्थितियाँ पायी जाती है। जहाँ एक ओर मानव के निवास के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ होने से अत्यधिक जमाव हो गया है, वहीं दूसरी ओर पृथ्वी के बड़े-बड़े भू-खण्ड मनुष्य के रहने योग्य न होने के कारण पूर्ण रूप से या आंषिक रूप से विरान एवं निर्जन पड़े हुए हैं। भूतल पर मनुष्य कहाँ-कहाँ और कितनी संख्या में पाये जाते हैं? इसका विवरण जनसंख्या वितरण के विष्लेषण से ही प्रकट हो पाता है। पृथ्वी के विभिन्न भागों पर मानव के स्थानिक वितरण प्रतिरूप का विष्लेषण कर भौगोलिक अध्ययन का मूल तत्व है। जनसंख्या ही वह संदर्भ बिन्दू है, जिसके कारण भूगोल वेत्ता अन्य पर्यावरणीय तत्वों का भी अध्ययन करता है, जिसका महत्व तथा अर्थ मानव के संदर्भ में ही निहित है। फिच एवं ट्रिवार्था (1957) एक अनुमान के अनुसार विष्व की कुल जनसंख्या का 90 प्रतिषत भाग पृथ्वी पर केवल 10 प्रतिषत स्थलीय भाग पर संकेन्द्रित है, जबकि इसके विपरीत 90 प्रतिषत भू-भाग पर केवल 10 प्रतिषत ही जनसंख्या निवास करती है। इसी प्रकार विष्व की 50 प्रतिषत जनसंख्या सम्पूर्ण पृथ्वी के केवल 5 प्रतिषत भू-भाग पर निवास करती है। विष्व की दो तिहाई जनसंख्या पृथ्वी के भाग लगभग 15 प्रतिषत भू-भाग पर केन्द्रित है। (ब्लाष) महाद्वीप वितरण के आधार पर एषिया महाद्वीप में संसार की दो तिहाई जनसंख्या का निवास है, वहीं अंटार्कटिका महाद्वीप तथा ग्रीनलैण्ड के हिमाच्छादित भाग आज जन विहीन है।
खजनी विकास खण्ड में जनसंख्या का वितरण:
खजनी विकासखण्ड के जनसंख्या प्रतिरूप का अध्ययन करने से पहले एक नजर हमें भारत के जनसंख्या वितरण प्रतिरूप का विष्लेषण करना चाहिए। भारत एक विषाल भौगोलिक विविधता वाला देष है, यहाँ पर जनगणना 2011 के अनुसार कुल जनसंख्या 121.06 करोड़ है। भारत के जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाली अनेक दषाओं-स्थालाकृति, जलवायु, मिट्टी खनिज संसाधनों की प्राप्ति, परिवहन की सुविधा, आर्थिक विकास नगरीकरण आदि ये पर्याप्त विभिन्नताएं पायी जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या के वितरण में असमानता मिलती है। भारत की 40 प्रतिषत जनसंख्या सतलज और गंगा के मैदानी क्षेत्र में ही पायी जाती है। भारत अधिकांष जनसंख्या उत्तरी भारत के मैदानी एवं समुद्र तटीय भागों में संकेन्द्रित है, जबकि उत्तर एवं उत्तर पूर्वी पहाड़ी प्रदेषों में सबसे कम जनसंख्या का निवास है। भारत में जनसंख्या भूगोल के अध्ययन से भूगोल के विद्यार्थियों को कई रोचक तथ्यों की जानकारी प्राप्त होता है, जो मानव -भूमि के सम्बन्ध को प्रकट करते हैं। भारत एक विकासषील देष है, जहाँ जनाकिकी, आर्थिक सामाजिक तथा राजनैतिक परिस्थितियों में उल्लेखनीय परिवर्तन हो रहा है, जिसके फलस्वरूप जनसंख्या के विकास एवं दिषा में परिवर्तन के साथ ही जनसंख्या पुर्न वितरण की प्रवृत्ति थी। क्रियाषील है। खजनी विकासखण्ड के वर्ष 2011 के जनगणना आँकड़ों आधार पर कुल जनसंख्या 197107 है। न्याय पंचायत भैसा बाजार में सबसे अधिक 27480 हैं तथा सबसे कम न्याय पंचायत तामा में 14419 लोग रहते हैं।
खजनी विकासखण्ड जनगणना (2011)
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1472-8 |
14419 |
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2134-2 |
24594 |
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17064 |
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1780-6 |
20042 |
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2031-8 |
22065 |
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1775-5 |
24835 |
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901-3 |
16899 |
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1778-6 |
23261 |
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2166-4 |
27480 |
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1281 |
16500 |
L=ksr % District Censsus handbook (Gorakhpur)
खजनी विकासखण्ड में जनसंख्या की तालिका का अध्ययन करने से पता चलता है कि सभी न्याय पंचायत में जनसंख्या की संख्या में विभिन्नता पायी जाती है। इस आधार पर जनसंख्या को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है निम्न जनसंख्या वाले क्षेत्र अर्थात् 15000 से कम, मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्रों अर्थात् 15 से 20 हजार तथा उच्च जनसंख्या वाले क्षेत्र। निम्न जनसंख्या के अन्तर्गत खजनी विकासखण्ड की मात्र एक न्याय पंचायत तापा है, जहाँ पर जनसंख्या 14419 लोग निवास करते हैं। मध्यम जनसंख्या के अन्तर्गत तीन न्याय पंचायत क्षेत्र आते हैं। जैसे-रामपुर पाण्डेय (17064), भरोहियाँ (16899), गोपालपुर (16500) है। जबकि ऊच जनसंख्या वाले क्षेत्र के अन्तर्गत 6 न्याय पंचायत आते हैं। जो इस प्रकार हैं। महमूदपुर (24594), बिगही 20042, सतुआधार (20065), रूद्रपुर (24835), हरनही (23261), भैसाबाजार (24480) का नाम आता है।
जनसंख्या घनत्व (क्मदेपजल व िच्वचनसंजपवद):
जनसंख्या घनत्व से आषय किसी भी भौगोलिक क्षेत्र या प्रदेष में जनसंख्या के बसाव की मात्रा से है। अर्थात् धरातल पर कहाँ जनसंख्या सघन एवं कहाँ पर विरल बसी हुई है यह ज्ञात करने के लिए जनसंख्या घनत्व की गणना की जाती है। सामान्यतया किसी क्षेत्र विषेष की कुल जनसंख्या को उसके कुल क्षेत्रफल से विभाजित करके प्रतिवर्ग मील या प्रतिवर्ग किलो मील से जनसंख्या घनत्व प्राप्त करते हैं। जिसे सामान्य जनसंख्या घनत्व प्राप्त करते हैं। अर्थात् सम्पूर्ण पृथ्वी अथवा उसके किसी भाग की कुल क्षेत्रफल और कुल मनुष्यों की संख्या के आनुपातिक सम्बन्ध को जनसंख्या घनत्व के द्वारा व्यक्त किया जाता है। जनसंख्या घनत्व प्रति इकाई क्षेत्रफल पर निवास करने वाली जनसंख्या का द्योतक है। (चाँदना एवं सिधू 1980)
किसी क्षेत्र के जनसंख्या घनत्व एवं वितरण में इतनी अधिक समानता पायी जाती है कि एक की व्याख्या के लिए दूसरे का ज्ञान परम आवष्यक है। इसे हम इस प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं कि जहाँ पर जनसंख्या अधिक होती है वहाँ पर जनसंख्या कम पायी जाती है वहाँ पर जनसंख्या घनत्व भी कम पाया जाता है। यही कारण है कि जो भौगोलिक कारक जनसंख्या वितरण के लिए उत्तरदायी होते हैं वही कारक जनसंख्या घनत्व के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।
खजनी विकासखण्ड की जनसंख्या घनत्व (2011)
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978-88 |
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1048-80 |
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1131-67 |
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1035-87 |
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1399-15 |
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1875-58 |
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1307-53 |
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2166-4 |
1268-69 |
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1288-05 |
L=ksr % Censsus of India and Self Calculating
जनसंख्या घनत्व को समपूर्ण विष्व के परिपेक्ष्य में देखा जाये तो 54 व्यक्ति/वर्ग किलो मीटर है। भारत का जनसंख्या घनत्व देखा जाये तो 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0 निवास करते हैं। भारत में उत्तर-प्रदेष का जनसंख्या घनत्व 828 व्यक्ति/वर्ग किमी0 तथा गोरखपुर में जनसंख्या घनत्व 1337 व्यक्ति/वर्ग किमी0 है। गोरखपुर में भी खजनी ब्लाॅक का जनसंख्या घनत्व, जनगणना 2011 के अनुसार 1189 व्यक्ति/वर्ग किमी0 है, जो गोरखपुर जनपद के और सभी विकासखण्डों के औसत जनसंख्या घनत्व से कम है खजनी विकासखण्ड में न्याय पंचायतवार जनसंख्या घनत्व का अध्ययन किया जाय तो सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व न्यायपंचायत भरोहियाँ में हे, जहाँ 1875 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0 निवास करते हैं। जबकि सबसे कम जनघनत्व न्यायपंचायत तामा में है। 978.88 व्यक्ति/वर्ग किमी0 निवास करते हैं। खजनी विकासखण्ड के जनसंख्या घनत्व को तीन वर्गों में रखकर अध्ययन किया जा सकता है।
1. निम्न जन घनत्व वाले क्षेत्र: 1189
2. मध्यम जन घनत्व वाले क्षेत्र: 1190-1300
3. उच्च जन घनत्व वाले क्षेत्र: 1300
1. निम्न जन घनत्व वाले क्षेत्र:
निम्न जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र अगर भारत के परिपेक्ष्य में देखा जाय तो, जो औसत जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति/वर्ग किमी0 से कम वाले क्षेत्र है उनको रखना चाहिए। परन्तु विकासखण्ड की जनसंख्या घनत्व तालिका के आधार पर औसत जनसंख्या घनत्व 1189 व्यक्ति है। जिससे कम जन घनत्व वाले पाँच न्याय पंचायत है। जैसे तामा (978.88), महमूदपुर (1152.48) रामपुरपाण्डे (1048.80), विगही (1131.67), सतुआथार (1085.87) ही है।
2. मध्यम जन घनत्व वाले क्षेत्र:
मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र के अन्तर्गत ऐसे न्याय पंचायत को रखा गया है, जो सम्पूर्ण विकासखण्ड के औसत (1189) जनसंख्या घनत्व से थोड़ा सा ऊपर हो। खजनी विकासखण्ड की तालिका का अध्ययन करने से प्राप्त होता है कि यहाँ पर औसत से 1300 व्यक्ति/वर्ग किमी0 के अन्तर्गत मात्र दो न्यायपंचायत क्षेत्र ही आते हैं। पहला न्याय पंचायत क्षेत्र भैसाबाजार है, जबकि दूसरा न्याय पंचायत क्षेत्र गोपालपुर को रखा गया है।
3. उच्च जन घनत्व वाले क्षेत्र:
उच्च जन घनत्व वाले क्षेत्र के अन्तर्गत वैसे क्षेत्र को रखा जाता है, जहाँ का जन घनत्व औसत से काफी अधिक हो। खजनी विकास खण्ड में तीन ऐसे न्याय पंचायत क्षेत्र हैं, जहाँ का जन पंचायत घनत्व औसत से काफी अधिक है, जैसे थरोहियाँ न्याय पंचायत क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है 1875.58 है जो औसत जन घनत्व 1189 से काफी अधिक है। इसी प्रकार रूद्रपुर और हरनही ये क्रमषः 1399.15 व्यक्ति/वर्ग किमी0 तथा 1707.53 व्यक्ति/वर्ग किमी0 निवास करते हैं।
लिंगानुपात - ;ैमग त्ंजपवद्ध
योनानुपात को ही लिंगानुपात या स्त्री-पुरुष अनुपात कहा जाता है। इसकी माप ैमग त्ंजपव द्वारा की जाती है। लिंगानुपात मंे किसी समय विषेष में, किसी देष, क्षेत्र या प्रदेष की समस्त जनसंख्या में रहने वाले स्त्रियों एवं पुरुषों की संख्या का अनुपात की गणना किया जाता है। इसकी गणना किसी देष या प्रदेष के समस्त आयु-वर्ग के लोगों में रहने वाले स्त्री एवं पुरुष के अनुपात से किया जाता है। किसी प्रदेष की सामाजिक स्थिति तथा अर्थव्यवस्था में स्त्री-पुरुष अनुपात की महत्वपूर्ण भूमिका पायी जाती है। अतः लिंगानुपात का अध्ययन जनसंख्या भूगोल वेत्ता के लिए विषेष महत्वपूर्ण होता है। स्त्री-पुरुष की प्रकृति कुछ विषयों में एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। अतः किसी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए स्त्री-पुरुष का विषिप्त स्थान होता है। वास्तव में लिंगानुपात किसी प्रदेष की अर्थव्यवस्था का सूचक होता है और स्थानिक भिन्नता के विष्लेषण में एक उपयोगी उपकरण के रूप में कार्य करता है। लिंगानुपात का अध्ययन इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है, कि इसका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष प्रभाव विभिन्न जनांकिकी तत्वों-प्रजननता, मत्र्यता, जनसंख्या परिवर्तन, व्यावसायिक संरचना आदि पर होता है। ट्रिवार्था (1953) के मतानुसार ‘‘किसी क्षेत्र के भौगोलिक विष्लेषण के लिए स्त्री-पुरुष अनुपात मूलाधार है क्योंकि यह भू-दृष्य का एक महत्वपूर्ण लक्षण ही नहीं बल्कि अन्य जनांकिकी तत्वों को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।‘‘ इस प्रकार प्राकृतिक भू-दृष्य की स्पष्ट व्याख्या के लिए इसके द्वारा अतिरिक्त साधन और समय की आवष्यकता होती है।
खजनी विकासखण्ड का लिंगानुपात:
खजनी विकासखण्ड भारत के मध्य गंगा के मैदान में बसा हुआ ग्रामीण क्षेत्र है। यहाँ पर जनसंख्या लिंगानुपात की विषेषता मैदानी क्षेत्रों के समान ही हैं। यहाँ पर लिंगानुपात पर्वती एवं पठारी क्षेत्रों से अलग भिन्न होता है। क्योंकि मैदानी क्षेत्र प्रायः कृषि प्रधान होते हैं, खनिज पदार्थों की अपेक्षाकृत कमी पायी जाती है, जिसके कारण औद्योगिक क्षेत्र कार्य पाये जाते हैं। खजनी विकासखण्ड गंगा के मैदान में बसा एक ग्रामीण अंचल वाला क्षेत्र है अतः यहाँ जनसंख्या लिंगानुपात का अध्ययन किया जाय तो 2001 में यहाँ पर प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 997 थी, जो 2011 में तेजी से घटकर प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या मात्र 955 ही रह गया है। जबकि गोरखपुर जिले का लिंगानुपात 2001 में 960/1000 पुरुष था तथा 2011 में घटकर 950/1000 पुरुष हो गया।
लिंगानुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या)
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भारत जैसे विकासषील देषों ये सामाजिक-आर्थिक कारणों से स्त्री मृत्युदर ऊच पायी जाती है। समाज ये स्त्रियों से लेकर वृद्धावस्था तक स्त्रियों के पोषण तथा स्वास्थ्य पर उतनाध्यान नहीं दिया जाता है, जितना पुरुषों का। पारम्परिक समाज में स्त्रियाँ प्रायः परिवार के पुरुष सदस्यों के भोजन के पश्चात् शेष पदार्थों का भोजन करती है। उन्हें अपने बुजुर्गों, पति, बच्चों आदि की अधिक चिन्ता होती है और वे अपने स्वास्थ्य की परवाह कम करती हैं। निर्धनता के कारण कूपोषण थी उच्च मृत्युदर के लिए उत्तरदायी है। प्रसूती तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मातृत्व मृत्युदर काफी ऊच पायी जाती है। अधिकांष समाज एवं समुदायों में पुरुषों को परिवार की पूँजी समझा जाता है क्योंकि वे ही धनार्जन करते हैं। स्त्रियाँ प्रायः घरेलू कार्यों को संभालती हैं और आर्थिक रूप से परिवार के पुरुष सदस्यों पिता, पति, पुत्र आदि पर आश्रित होती है। सम्भावतः आर्थिक निर्भरता के कारण भी स्त्रियाँ का स्थान समाज में निम्न पाया जाता है। अनेक देशों में वर्दा प्रथा के प्रचलन की थी स्त्रियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार अनेक विकासषील देषों में स्त्री मृत्युदर, पुरुष, मृत्युदर की तुलना में उच्च पायी जाती है जिससे जनसंख्या स्त्रियों की संख्या पुरुषांेें की तुलना में कम होती है।
निष्कर्ष:
विकासखण्ड जनपद गोरखपुर (उ0प्र0) की जनसंख्या गत्यात्मकता का अध्ययन करने से पता चलता है कि यहाँ पर जनसंख्या वृद्धि काफी तीव्र गति की है। फिर भी हाल के वर्षों में वृद्धि की यह गति घटती दर से हो रहा है। खजनी विकासखण्ड की जनसंख्या वितरण को देखा जाये तो सबसे कम जनसंख्या तामा में (14419) हैं तथा सबसे अधिक न्याय पंचायत भैसा बाजार में (27480) है, लेकिन जनसंख्या घनत्व को देखा जाये तो सबसे अधिक सघन जनसंख्या वाला क्षेत्र, भरोहियाँ है जहाँ प्रति वर्ग किमी0 1875 लोग निवास करते हैं। यहाँ पर सबसे खराब स्थिति लिंगानुपात का है। सम्पूर्ण भारत में जहाँ लिंगानुपात में वृद्धि हुई वही खजनी विकासखण्ड में वर्ष 2001 से 2011 के बीच लिंगानुपात में काफी अधिक गिरावट हुई है, जहाँ 2001 में लिंगानुपात 997/1000 पुरुष था वहीं 2011 में घटकर 955.84/1000 रह गया है। अर्थात् लगभग 42 महिलाओं की कमी प्रति 1000 पुरुषों में हुई है जो समाज के पिछड़ेपन का प्रतीक है। अतः यहाँ पर जनसंख्या मे कमी करने के साथ-साथ लिंगानुपात का स्तर काफी बढ़ाना होगा इसके अलावा षिक्षा एवं अन्य अवस्थापनात्मक तथ्यों पर भी ध्यान देना होगा, ताकि विकासखण्ड में सामाजिक, प्राकृतिक, आर्थिक एवं राजनैतिक विकास हो।
संदर्भ ग्रन्थ सूची:
1. Clarke, John 1. (1971) : Population Geography and developing countries, Program Press oxford : 131.
2. Zelinsky, wilber (1966) : A Prologus to population geography, Prenlice Hall, 1. Nci, N.J : 32-33.
3. Finch and Triwartha, G.T. (1968) : Elements of Geography (Physical and Cultural) London : 56-58.
4. अग्रवाल, मीरा एवं राय, एच0के0 (2007): जनपद बाराबंकी में जनसंख्या वृद्धि प्रारूप, उत्तर भारत भूगोल पत्रिका, गोरखपुर अंक 37, सं0-3 सितम्बर: 81-88
5. राव वी0पी0 एवं त्यागी नूतन (2014) भारत की भौगोलिक समीक्षा, बसुंधरा प्रकाषन, गोरखपुर।
6. जिला जनगणना हस्त पुस्तिका, गोरखपुर (उ0प्र0)
7. सांख्यिकीय पत्रिका, गोरखपुर (2020)
8. Censsus of India (2011)
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Received on 06.09.2022 Modified on 22.11.2022 Accepted on 06.01.2023 © A&V Publication all right reserved Int. J. Ad. Social Sciences. 2022; 10(4):149-157.
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